शिवमंदिर
अमर अविनाशी निर्गुण परमात्मा स्वयंभू शिव का वैज्ञानिक एवं अध्यात्मिक चिन्ह है शिवलिंग | शिव कभी अवतरित नहीं हुये | संत लहरी आश्रम में बाबाजी द्वारा निर्मित यह शिवमंदिर ही शिवलिंग के आकार का बनाया है | शिवमंदिर के अंदर काले पार्थिव का दर्शनीय शिवलिंग स्तापित है | मानो संसार को यह संदेश दे रहा है, जो परमात्मा बाहर है, वो ही अंदर भी विराजमान है | शिवमंदिर के सन्मुख १२ फुट का विशाल नंदी विराजमान है, जो स्थिरता, बल एवं धैर्य का संदेश दे रहा है | संपूर्ण परिसर में सुंदर सुंदर फूलों की झाड़ी के कारण मनको सहज ही प्रसन्नता मिलती है, और तन मन शिव को समर्पण हो जाता है |
महाद्वार
आश्रम का महाद्वार अत्यंत सुंदर तरीकेसे बनाया गया है | द्वार के उपर एक नाव का निर्माण किया गया है | नाव दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर जाते हुये दर्शायी गयी है, नाव में भगवान श्रीराम, माता सीता एवं लक्ष्मणजी की मूर्तियाँ है, नाव एक केवट द्वारा चलायी जा रही है | नाव का अग्रभाग राजहंस मूर्ती के रूप में दर्शाया गया है |
विशाल नंदी
महाद्वार से प्रवेश करते ही सर्वप्रथम शिवमंदिर के प्रांगन में स्थित नंदी के दर्शन होते है | यह विशाल नंदी रूप मूर्ती १८ फुट ऊँची है | नंदी बैठेरूप में है एवं शिवमंदिर की ओर मुख कर विराजमान है, पूर्णतया सफ़ेद रंग में रंगाये गए है | नंदी के बायीं ओर एक विशाल घंटा है तो दायीं ओर भगवान भोले नाथजी के प्रिय शस्त्र त्रिशूल खड़ी अवस्था में निर्मित है | एक अनोखा शिवमंदिर सन्मुख विशाल नंदी आजू बाजु विशाल घंटा त्रिशूल एवं पुष्पवाटिका यह सब देखकर मन प्रसन्न होकर सर्वप्रथम नंदी के चरणों में नतमस्तक होकर धीरे-धीरे वैराग्य की ओर अग्रेसित होता है |
संत लहरीबाबा महासमाधि मंदिर
निष्काम कर्मयोगी संत श्रेष्ठ, भक्तो के भगवान, सहज समाधी एवं संकल्प शक्ति के महाज्ञानी संत लहरीबाबा का यह समाधी मंदिर सम्पूर्ण आश्रम परिसर के मध्यभाग में स्थापित है | वैसे भी कामठा एवं परिसर भारत का मध्य बिंदु ही है | जिस प्रकार केंद्र ही उर्जा का स्त्रोत्र होता है उसीप्रकार यह लहरीआश्रम मध्यकाशी बनकर दिव्य चेतना प्रसारित कर रहा है | यह महासमाधि मंदिर उस चेतना का, उर्जा का महास्त्रोत्र साबीत हो रहा है | समाधी को स्पर्श करते ही सारे कल्प विकल्प दूर होकर मानसिक एवं अध्यात्मिक शांती का लाभ प्राप्त होता है | यह समाधी मंदिर चारो दिशा से एक समान दर्शित होता है, जो संदेश देता है की किसी भी मार्ग से चलो, किसी के भी साथ चलो, मंजिल सभी की एक ही है | लहरीनाथ का यह महासमाधि मंदिर धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष इन चारों द्वार का आशीर्वचन देते प्रतीत होता है |
ज्ञानदिप कुटी
लहरी संजीवन धाम के बाजु में लहरी ज्ञानदीप कुटी है | संत लहरीनाथ अपने अंतिम दिनों में ईसी कुटी में निवास करते थे | इस कुटी में बाबा भक्तों से गहन अध्यात्मिक चर्चा करते रहे है | इस कुटी में आज भी मन को शांती का अनुभव होता है | कुटी के प्रांगन में एक झुला है जहाँ संध्या समय बैठकर बाबा सत्संग किया करते थे | कुटी अत्यंत सुंदर बनाई गयी है | अब यह कुटी बाबा के स्मृति में अरक्षित है |
पिरामिड कुटी
संशोधन के पश्च्यात आज सभी यह मानते है की विज्ञानं और अध्यात्म के संयोग से मानव सुख एवं शांती से जीवन जी सकता है | आश्रम में स्थित संत लहरीनाथ द्वारा निर्मित यह पिरामिड कुटी अध्यात्म एवं विज्ञान का संतुलन बनाये है | सन्मुख शिवमंदिर एवं आजूबाजू की हरियाली मन को प्रसन्नता देती है | पिरामिड में प्रवेश कर बैठने पर प्रसन्न हुये मन को सतचित आनंद का आभास होता है | पुरातन काल से एसी वास्तु की निर्मिती मानव कल्याण के लिए सम्पूर्ण विश्व में होती रही है | लहरी आश्रम स्थित यह पिरामिड कुटी मानव के कुशाग्र बुद्धि की और संस्कृति की याद दिलाती है |
आदिशक्ति माँ भागीरथी मंदिर
ऋग्वेद के अनुसार इस धरती पर सर्वप्रथम स्त्री का प्राकट्य हुआ | स्त्री से ही सम्पूर्ण विश्व की निर्मिती होती है | माँ भागीरथी संत लहरीनाथ की अर्धांगिनी और उनके परमार्थ एवं जनकल्याण के कार्य की सहचारिणी थी | उन्होंने लहरीनाथ के प्रपंच को परमार्थ का रूप दिया | उनका सुंदर मंदिर अष्टकोणी है | मंदिर का गर्भगृह निले रंग का है, जिससे माँ भागीरथी सागर पुत्री लक्ष्मी समान वैभवशाली बनने का आशीर्वचन देते दिखाई देती है | मंदिर का बाहरी रंग माँ सरस्वती समान ज्ञान की सरिता प्रदान करती है |
अस्थिकुंड
शिवमंदिर के प्रांगन में माता भागीरथी मंदिर के दायी ओर अस्थिकुंड का निर्माण किया गया है | इसका मुख्य उद्देश जो भी आस्थावान काशी या अन्य तीर्थों में अपने परिवार के मृत सदस्यों की अस्थियाँ नहीं ले जा सकते उनको यहाँ अस्थियाँ विसर्जित करने में सहूलियत हो | इस अस्थिकुंड में भारत के पवित्र नदियों एवं सागर का जल समाहित किया गया है | यहाँ भक्तों द्वारा परिवारजनो की अस्थियाँ विसर्जित की जाती है | इस प्रकार संत लहरीनाथ ने आम लोगोंको तीर्थों में होने वाली पंडेगिरी एवं लुट एवं व्यर्थ में होने वाली धनहानि से बचाया है |
संजीवन धाम
संजीवन धाम सभागृह में निर्गुण लहरीनाथ की सगुण मूर्ती की स्थापना की गयी है | मूर्ती का स्वरुप आशीर्वाद देते दिखाई देता है | मूर्ती में स्वयं लहरीनाथ विराजमान है ऐसा भास होता है | भक्तो की प्रबल आस्था बनी यह मूर्ती मानो संदेश देती है की इस संजीवन धाम में तुझे किसी ना किसी तरीके से नवचेतन, नवजीवन मिल ही जायेगा | यह मूर्ती भक्तो को आज भी लहरीनाथ के अस्तित्व की अनुभूती देती है |
संजीवन धाम
आश्रम में यह भक्त कुटियाँ भक्तों के विश्राम हेतु बनायीं गयी है | जब भी आश्रम में सत्संग शिबीर या प. पू. बाबा का जन्मोत्सव होता है भक्तगण इन कुटियों में विश्राम करते है |
नजदीकी विमानतल : नागपुर विमानतल
रेल्वे लेन - नागपुर से रायपुर (गोंदिया स्टेशन)
कामठा ये जगह गोंदीया बालाघाट राज्य महा मार्गपर रावणवाड़ी गाव से १० कि मी के अंतर पर है.
![]() | श्री संत लहरी आश्रम कामठा (मध्य काशी), ता. जि. गोंदिया, महाराष्ट्र |
![]() | 91-07182-283024 |
![]() | secretary@santlaharinath.org |