संत लहरी बाबा के अंतरमन में शुद्ध विचार प्रकट होने से उनकी अखंडितवाणी के प्रकाश से अभंग , श्लोक , सुभाषित एवं भजनो कि रचना होने लगी | समाज के हर वर्ग के लोगो को सत्यम, शिवम् सुन्दरम की भूमिका का परिचय मिलने लगा |
“अन्त:करणात शब्द डाटे, शब्दाला जीव फुटे
इथे नाही खोटे नाटे, वाणी मध्ये ब्रम्ह ठसे”
- संत जैरामदास
संत लहरीबाबा ने स्वयं अपनी आत्मा के परिचय में कहा है –
सभी धर्म का सभी जाती का, देखो है वो भारती |
मानवता का धर्म निभाये, पूजा करे सुविचार की ||
बाबा ज्ञानी से भी विचारी को श्रेष्ठ मानते थे | आत्म-उमंग, आत्मलहर और स्वयंस्फूर्त भजनों में उन्होंने, जीव-शिव, भक्त-भगवान, भक्ति की शक्ति, सेवा की दृष्टी, सामाजिक चेतना, आत्मानुभूति और इस नश्वर शरीर में ही ईश्वर तथा मानवेत्तर क्रियाओ का रहस्य उदघाटित किया है | अपने तथा भक्तोपर और समाज में घटित होने वाली अनेक घट्नाओ को काव्य रूप में प्रकट किया है, उनकी रचनाओं में मानव कल्याण के सभी दिशाओं का सजीव विचार अंकित है | उन्होंने अनेक गद्य-पद्य पुस्तको कि रचनाये कि जिसमे देश काल , वातावरण , परिस्तिथि , जन्म, अनेक समस्याओंका समाधान मिलता है . उनकी लाखो कि रचनाये है उनमे से कुछ है ---
बाबा का सानिध्य और सत्संग का लाभ अनेक भक्तो की रचनाओं में स्पष्ट झलकता है | भक्तों ने अपनी रचनाओं में परमात्मा स्वरुप लहरीबाबा की स्तुति और गुणगान किताबों एवं केसेट के माध्यम से किया है –
नजदीकी विमानतल : नागपुर विमानतल
रेल्वे लेन - नागपुर से रायपुर (गोंदिया स्टेशन)
कामठा ये जगह गोंदीया बालाघाट राज्य महा मार्गपर रावणवाड़ी गाव से १० कि मी के अंतर पर है.
![]() | श्री संत लहरी आश्रम कामठा (मध्य काशी), ता. जि. गोंदिया, महाराष्ट्र |
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