किसी संस्था कि बुनियाद उसका दीर्घकालिक अस्तित्व और कुशल संचालक का श्रेय संस्था के संस्थापक को जाता है. परन्तु संत लहरी बाबा दुनिया के अजूबे संत है .इन्होने संपूर्ण श्रेय ,कीर्ति,भक्तो के नाम, जनता जनार्धन के नाम कर दिया. अपने नाम भक्तो के द्वारा दी गयी समस्त वस्तुए , अपने जीवन कि अमूल्य निधिओ साहित्यक रचनाये एवं उनके प्रकाशन का सर्वाधिकार ट्रस्ट के नाम समर्पित कर दिया . एक समय संत लहरी बाबा का छोटा सा घर ही आश्रम जैसा बन गया था ,श्रद्धालु भक्तो कि आस्था का केंद्र बन गया था, लोक दर्शन को आते , शंका समाधान करते , श्रदधुलो कि भीड़ के बढ़ने से सन १९५६ में बाबा के घर के सामने एक छोटे से आश्रम का निर्माण हुआ.जहा सोमवार और गुरुवार को बाबा का जनसेवा दरबार लगता था. बाबा को पैसे का , भक्तो द्वारा सेवा में दी गयी वस्तुओ का कोई आकर्षण नहीं था.जो भी पैसे मिलते थे बाबा उन्हें लोगो में बांट देते थे.बाबा कि प्रेरणा से सन १९७५ लहरी आश्रम कामता पंजीयन क्रमांक १११ कि सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया. बाबा इसके आजीवन अध्यक्ष रहे .
ईश्वर तत्त्व सर्व शक्तिमान है. अविनाशी है,संत लहरी बाबा इसी परम तत्त्व से एक रूप होकर परम दिव्या तत्त्व का ही शारीर धारण कर कंठा ग्राम में दिन गुरुवार ७ दिसंबर १९२२ को ब्रह्मा मुहूर्त के समय शुभ घडी में अवतरित हुए. संत लहरी बाबा के पूर्वज शिव भक्त थे. . पिता धर्मराज और माता सीता के अतिरिक्त संत लहरी बाबा के परिवार में चार भाई भीमराम, सोनाराम , दीनाराम , मनीराम और एक बहिन शारदा थी. पिता से धर्मं के संस्कार , माता से सेवा के संस्कार और पूर्वजो से भक्ति के संस्कार फलिश्रुत हुए. . ईश्वर से साक्षात्कार हुआ. संत लहरी बाबा कि प्राथमिक शिक्षा ही पूर्ण नहीं हुई. परन्तु छोटी उम्र से ही उनके श्री मुख से महा पुरुषो कि तरह समय सूचक वाकया निकलते थे.
संत लहरी बाबा मानव ता के आराधक , भक्ति , ज्ञान के महँ प्रचारक है. उनके काव्य पदो , भजनो, गीतो, प्रवचनो, उपदेशो और संदेशो से भारतीय संस्कारो और नैतिक मुद्दो को नयी दिशा प्रदान कि है. युग युग तक धर्मं मानवता के रक्षा के लिए चमकाने वाले उनकी कीर्ति सुकीर्ति और सुरति के रूप में११ दिसंबर सन १९९९ शनिवार के दिन रात्रि में अंतिम विदाई ली , परन्तु उनकी समाधी आज भी उसी तरह क्रियाशील व भक्तो के लिए संजीवनी बनी हुई है. जिस तरह लहरी बाबा सगुन रूप में भक्तो पर दया करते थे. उनके साहित्य में लहरी चरित्र छुपा हुआ है और उनके श्रीधाम के दर्शन में उनकी देवयिक क्षमताओं के दर्शन मिलते है.
संत महात्माओं के कार्यों की स्तुति या समीक्षा करना बहुत मुश्किल कार्य है | संत लहरीबाबा के कार्यों को सूचिबद्ध करना बहुत दुष्कर लगता है | उन्होंने अपने सद्ज्ञान, सद्बुद्धि, चेतन पराशक्ति और आत्मिक प्रेम के बलपर देश, समाज की हर संभव सेवा की है | सेवा के कार्य में आजीवन तटस्थ, तत्पर और अटल रहे है | वे निरिच्छा की छाया में बैठे रहे परन्तु जो चाहा उस रूप में व्यक्ति और समाज में परिवर्तन लाया | वे चाहते थे कि देश का हर बच्चा संत महापुरुषों के मार्ग पर चलकर नवयुग का निर्माण करें और भारत के अध्यात्मिक संस्कृति की रक्षा करे, उसे जगजाहिर करे | संत लहरीबाबा के प्रमुख कार्य –
नजदीकी विमानतल : नागपुर विमानतल
रेल्वे लेन - नागपुर से रायपुर (गोंदिया स्टेशन)
कामठा ये जगह गोंदीया बालाघाट राज्य महा मार्गपर रावणवाड़ी गाव से १० कि मी के अंतर पर है.
![]() | श्री संत लहरी आश्रम कामठा (मध्य काशी), ता. जि. गोंदिया, महाराष्ट्र |
![]() | 91-07182-283024 |
![]() | secretary@santlaharinath.org |