श्री संत लहरी आश्रम कामठा

मध्य काशी, ता. जि. गोंदिया, महाराष्ट

मानवता बिना विद्वत्ता व्यर्थ है |

- संत जैरामदास

श्री संत जैरामदास उर्फ़ लहरी बाबा

किसी संस्था कि बुनियाद उसका दीर्घकालिक अस्तित्व और कुशल संचालक का श्रेय संस्था के संस्थापक को जाता है. परन्तु संत लहरी बाबा दुनिया के अजूबे संत है .इन्होने संपूर्ण श्रेय ,कीर्ति,भक्तो के नाम, जनता जनार्धन के नाम कर दिया. अपने नाम भक्तो के द्वारा दी गयी समस्त वस्तुए , अपने जीवन कि अमूल्य निधिओ साहित्यक रचनाये एवं उनके प्रकाशन का सर्वाधिकार ट्रस्ट के नाम समर्पित कर दिया . एक समय संत लहरी बाबा का छोटा सा घर ही आश्रम जैसा बन गया था ,श्रद्धालु भक्तो कि आस्था का केंद्र बन गया था, लोक दर्शन को आते , शंका समाधान करते , श्रदधुलो कि भीड़ के बढ़ने से सन १९५६ में बाबा के घर के सामने एक छोटे से आश्रम का निर्माण हुआ.जहा सोमवार और गुरुवार को बाबा का जनसेवा दरबार लगता था. बाबा को पैसे का , भक्तो द्वारा सेवा में दी गयी वस्तुओ का कोई आकर्षण नहीं था.जो भी पैसे मिलते थे बाबा उन्हें लोगो में बांट देते थे.बाबा कि प्रेरणा से सन १९७५ लहरी आश्रम कामता पंजीयन क्रमांक १११ कि सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया. बाबा इसके आजीवन अध्यक्ष रहे .

ईश्वर तत्त्व सर्व शक्तिमान है. अविनाशी है,संत लहरी बाबा इसी परम तत्त्व से एक रूप होकर परम दिव्या तत्त्व का ही शारीर धारण कर कंठा ग्राम में दिन गुरुवार ७ दिसंबर १९२२ को ब्रह्मा मुहूर्त के समय शुभ घडी में अवतरित हुए. संत लहरी बाबा के पूर्वज शिव भक्त थे. . पिता धर्मराज और माता सीता के अतिरिक्त संत लहरी बाबा के परिवार में चार भाई भीमराम, सोनाराम , दीनाराम , मनीराम और एक बहिन शारदा थी. पिता से धर्मं के संस्कार , माता से सेवा के संस्कार और पूर्वजो से भक्ति के संस्कार फलिश्रुत हुए. . ईश्वर से साक्षात्कार हुआ. संत लहरी बाबा कि प्राथमिक शिक्षा ही पूर्ण नहीं हुई. परन्तु छोटी उम्र से ही उनके श्री मुख से महा पुरुषो कि तरह समय सूचक वाकया निकलते थे.

संत लहरी बाबा मानव ता के आराधक , भक्ति , ज्ञान के महँ प्रचारक है. उनके काव्य पदो , भजनो, गीतो, प्रवचनो, उपदेशो और संदेशो से भारतीय संस्कारो और नैतिक मुद्दो को नयी दिशा प्रदान कि है. युग युग तक धर्मं मानवता के रक्षा के लिए चमकाने वाले उनकी कीर्ति सुकीर्ति और सुरति के रूप में११ दिसंबर सन १९९९ शनिवार के दिन रात्रि में अंतिम विदाई ली , परन्तु उनकी समाधी आज भी उसी तरह क्रियाशील व भक्तो के लिए संजीवनी बनी हुई है. जिस तरह लहरी बाबा सगुन रूप में भक्तो पर दया करते थे. उनके साहित्य में लहरी चरित्र छुपा हुआ है और उनके श्रीधाम के दर्शन में उनकी देवयिक क्षमताओं के दर्शन मिलते है.

संत लहरीबाबा के जनोद्धार के प्रमुख कार्य –

संत महात्माओं के कार्यों की स्तुति या समीक्षा करना बहुत मुश्किल कार्य है | संत लहरीबाबा के कार्यों को सूचिबद्ध करना बहुत दुष्कर लगता है | उन्होंने अपने सद्ज्ञान, सद्बुद्धि, चेतन पराशक्ति और आत्मिक प्रेम के बलपर देश, समाज की हर संभव सेवा की है | सेवा के कार्य में आजीवन तटस्थ, तत्पर और अटल रहे है | वे निरिच्छा की छाया में बैठे रहे परन्तु जो चाहा उस रूप में व्यक्ति और समाज में परिवर्तन लाया | वे चाहते थे कि देश का हर बच्चा संत महापुरुषों के मार्ग पर चलकर नवयुग का निर्माण करें और भारत के अध्यात्मिक संस्कृति की रक्षा करे, उसे जगजाहिर करे | संत लहरीबाबा के प्रमुख कार्य –

  • देश, धर्म, समाज सेवा, संस्कृति की रक्षा करना |
  • आत्मा से आत्मा को मिलाना, आत्मिक प्रेम का नाता सभी से जोड़ना |
  • मानव को मानवता के कार्यों के लिए जागृत करना |
  • जनसमूह के जीवन को सत्य, अहिंसा, त्याग, सेवा, भक्ति और परोपकार के मार्ग पर प्रगतिशील बनाना |
  • समस्त जीव-प्राणी, वनस्पति औषधि, जल,पर्यावरण रक्षण |
  • द्वेष, अहंकार, व्यसन मुक्ति |
  • प्रपंच-परमार्थ को एक सार बनाना |
  • जाती, पंथ, धर्म, अर्थ-भेद मिटाना |
  • सब धर्मों के प्रति आदर सबधर्म समभाग विकसित करना |
  • सादगीपूर्ण एवं स्वावलंबी जीवन जीना |
  • दू:खी, गरीब और श्रमजीवी के प्रति आदर, प्रेम और सहयोग की भावना विकसित करना |
  • पिछड़े समाज की उन्नति के लिए नव चेतना लाना |
  • चरित्रवान नवयुवकों का निर्माण कर नवयुग का सृजन करना |
  • संत महापुरुषों के अमरतत्वों पर अमल करने के लिए मार्गदर्शन करना |
  • बच्चों के संस्कार माँ के गर्भ में ही तैयार होते है, महिलाओं को शिक्षित एवं भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित करना |
  • भौतिक सुख के परे आत्मिक सुख की खोज |
  • आत्मज्ञान की प्राप्ति हेतु सत्संग परम आवश्यक |

कैसे पहुंचे


नजदीकी विमानतल : नागपुर विमानतल
रेल्वे लेन - नागपुर से रायपुर (गोंदिया स्टेशन)

कामठा ये जगह गोंदीया बालाघाट राज्य महा मार्गपर रावणवाड़ी गाव से १० कि मी के अंतर पर है.

॥ वार्षिक दिनदर्शीका ॥


  • मकर संक्रांति
  • महाशिवरात्रि
  • चैत्र गुड़ीपाडवा
  • डॉ खिलेश्वर जन्मदिन
  • गुरुपोर्निमा
  • रक्षाबंधन
  • सत्संग शिबीर
  • भागीरथी दुर्गा अष्टमी
  • कोजागिरी
  • राष्ट्रीय पर्व
  • पारंपरिक त्यौहार
  • संत लहरी जन्मोत्सव

हमसे जुड़िये


श्री संत लहरी आश्रम कामठा (मध्य काशी),
ता. जि. गोंदिया, महाराष्ट्र
91-07182-283024
secretary@santlaharinath.org

नकाशा